#गार्ड_भारतीय_रेल (तुझे सलाम)
रात का सोना भूल गए हम,
दिन में भी आराम नहीं,
फिर भी जिसको देखो वही है बोले,
ऐ गार्ड बाबू तुम्हे कुछ काम नहीं....
घर परिवार सब छूट गया,
अब रिश्ते हुए पराए हैं,
ऑफिस वाले सब घुटे है रहते,
लो गार्ड बाबू फिर आएं है...
दीवाली के दिये याद नहीं,
होली के रंग भी फीके हैं,
हर तीसरे दिन जब घर हम लौटे,
मैडम के मिज़ाज़ भी तीखे हैं...
एक वक्त का खाना मिलता,
एक वक्त निश्चित फाँकें है,
स्टेशन दर स्टेशन है निकलता,
पटरी और सिग्नल ताकें है...
पैसा पैसा सब हो करते,
कभी ब्रेकवान में झाँका है?
बिना कुर्सी के कभी कभी तो,
सोलह सोलह घण्टे काटा है..
कभी मेल मेल कभी माल माल,
गाड़ी पर मिलती गाड़ी है,
रोस्टर है सोलह घंटे का,
बस एक विपत्ती भारी है...
पांच मिनट जो लेट हो जाता,
गाड़ी पर पिटती गाड़ी है,
जो लूप लाइन में लग गए तो,
फिर घंटों में तुम्हारी बारी है...
कभी धूप धूल कभी ठंढ ठंढ,
कभी तूफानी बारिश है,
ऐ गार्ड तुझे सलाम है,
जो फिर भी ड्यूटी जारी है...
Rohit Kumar
Guard/Wat.,E.Co.Rly
रात का सोना भूल गए हम,
दिन में भी आराम नहीं,
फिर भी जिसको देखो वही है बोले,
ऐ गार्ड बाबू तुम्हे कुछ काम नहीं....
घर परिवार सब छूट गया,
अब रिश्ते हुए पराए हैं,
ऑफिस वाले सब घुटे है रहते,
लो गार्ड बाबू फिर आएं है...
दीवाली के दिये याद नहीं,
होली के रंग भी फीके हैं,
हर तीसरे दिन जब घर हम लौटे,
मैडम के मिज़ाज़ भी तीखे हैं...
एक वक्त का खाना मिलता,
एक वक्त निश्चित फाँकें है,
स्टेशन दर स्टेशन है निकलता,
पटरी और सिग्नल ताकें है...
पैसा पैसा सब हो करते,
कभी ब्रेकवान में झाँका है?
बिना कुर्सी के कभी कभी तो,
सोलह सोलह घण्टे काटा है..
कभी मेल मेल कभी माल माल,
गाड़ी पर मिलती गाड़ी है,
रोस्टर है सोलह घंटे का,
बस एक विपत्ती भारी है...
पांच मिनट जो लेट हो जाता,
गाड़ी पर पिटती गाड़ी है,
जो लूप लाइन में लग गए तो,
फिर घंटों में तुम्हारी बारी है...
कभी धूप धूल कभी ठंढ ठंढ,
कभी तूफानी बारिश है,
ऐ गार्ड तुझे सलाम है,
जो फिर भी ड्यूटी जारी है...
Rohit Kumar
Guard/Wat.,E.Co.Rly
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