काश वो बचपन फिर से लौट आये...
इस भागदौड़ भरी जिंदगी को एक सुकून सा मिल जाये...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
वो बात-बात पे रूठना...
तेरे-मेरे के भेद से अनजान रहना...
वो गर्मी की छुट्टियां और नानी की कहानियां...
वो दिवाली के पटाखे और होली की खुशियाँ...
वो नादानियों भरा chapter दोबारा start हो जाये...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
ना था किसी का डर...
ना किसी की बातों का ध्यान...
वो छूट सी गयी कहीं...
सच्चाई भरी मुस्कान...
वो खेलों की मस्ती...
अजीबो गरीब प्रश्नों की दुकान...
वो खेतों के किस्से...
और...
नन्हे हाथों से बने मिट्टी के मकान...
बड़ी अजब सी थी...
वो सपनों भरी कल्पनायें...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
जेब में पैसे होते थे कम...
फिर भी bindass रहते थे हम...
वो माँ के लाख मना करने पर भी
बारिश में भीग जाना...
सुबह को घर से निकलना
और शाम को लौट के आना...
वो सोनपरी की छड़ी...
और हवाई शक्तिमान...
स्कूल न जाने के...
वो हमारे बहाने महान...
पाक होते थे रिश्ते...
और सच्ची थी भावनाएं...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
✍️Dishu Choudhary
इस भागदौड़ भरी जिंदगी को एक सुकून सा मिल जाये...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
वो बात-बात पे रूठना...
तेरे-मेरे के भेद से अनजान रहना...
वो गर्मी की छुट्टियां और नानी की कहानियां...
वो दिवाली के पटाखे और होली की खुशियाँ...
वो नादानियों भरा chapter दोबारा start हो जाये...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
ना था किसी का डर...
ना किसी की बातों का ध्यान...
वो छूट सी गयी कहीं...
सच्चाई भरी मुस्कान...
वो खेलों की मस्ती...
अजीबो गरीब प्रश्नों की दुकान...
वो खेतों के किस्से...
और...
नन्हे हाथों से बने मिट्टी के मकान...
बड़ी अजब सी थी...
वो सपनों भरी कल्पनायें...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
जेब में पैसे होते थे कम...
फिर भी bindass रहते थे हम...
वो माँ के लाख मना करने पर भी
बारिश में भीग जाना...
सुबह को घर से निकलना
और शाम को लौट के आना...
वो सोनपरी की छड़ी...
और हवाई शक्तिमान...
स्कूल न जाने के...
वो हमारे बहाने महान...
पाक होते थे रिश्ते...
और सच्ची थी भावनाएं...
काश वो बचपन फिर से लौट आये...
✍️Dishu Choudhary
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