त्र्प्राइल बसंत, त्र्प्राइल बसंत
1
बिटीत्र्प्रन के मन उधुके लागल
बेटवन के मन दुभुके लागल
छंवडन छंउडीन के देखS ना
रस में बूडले भइले पागल
बुढावो का त्र्प्राजु सबख जागल
उनको मन तरनाये लागल
चारू त्र्प्रोरि रही रही रस छलके
जइसे छामके निबूत्र्प्रा घाघल
ई ना होई उल्लू बसंत
त्र्प्राइल बसंत, त्र्प्राइल बसंत
2
भीतर से उठत हिलोरा बा
बाहर पछिवा झकझोरा बा
पतइन की छाती पर देखS
उठत त्र्प्रब गोल टिकोरा बा
महुत्र्प्रा मधु भरल कटोरा बा
जइसे रस से सरबोरा बा
त्र्प्रावS पीलS त्र्प्रावS पी लS
ऊ चु चु करत निहोरा बा
ई कुल्हि रस उहे पी पाई
जे ना होई घोंघा बसंत त्र्प्राइल बसंत, त्र्प्राइल बसंत
3
त्र्प्रब बाजत ढोल मजीरा बा
चारू त्र्प्रोरि उडत त्र्प्रबीरा बा
कोइलरी पपीहा का बोली में
देखS ना केतना पीरा बा
त्र्प्रब मधुमय बहत समीरा बा
त्र्प्रलसाइल रहत सरीरा बा
दिनवा भरी रस मोती बरिसे
रतिया भरी बरसत हीरा बा
ई कुल्हि रस उहे पी पाई
जे ना होई लेढा बसंत
त्र्प्राइल बसंत, त्र्प्राइल बसंत
त्र्प्राइल बसंत, त्र्प्राइल बसंत
ई कबिता पढ़ी जे ना हंसल
ऊ हS पुरहर उल्लू बसंत, घोंघा बसंत. लेढा बसंत
ई कबिता पढ़ी जे हंसी दीहल
उहो पुरहर उल्लू बसंत, घोघा, बसंत लेढा बसंत
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