Monday, November 23, 2020

राम राज

राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत
त्र्प्राजु ताडू का बनली त्र्प्राविद्या
घूम मचवलसी भार
त्र्प्रंधकार में परल कष्ट में
दुखी सकल नरनारी
ज्ञान जग्गी त्र्प्रब नष्ट होती बा
ऊ इचिकी बंचि जाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत

2
राकस सेना बनली बेकारी
देस परल संकट में
भूख चिता बनी जला रहली बा
भय उपजल घट घट में
नव विकास के बान चलित
भय के कारन हटी जाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में राम राज फिर त्र्प्राइत

3
सांति त्र्प्राहिल्या मूर्छित बाड़ी
कलह स्त्राप बा भारी
नर के बली देवे खातिर बा
नर नित करत तेत्र्प्रारी
प्रेम राम के चरन मिलित  तS
झट मूर्छा हटी जाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत


4
भासावार राज्य के सागर
उमड़ी घुमडी घहरत बा
केहू पाँव जमात्र्प्रो कंहवा
साहस ना ठहरत बा
रामेश्वर त्र्प्रस पुल बनी जाइत
सभ झंझट हटी जाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत

5
रोग महामारी के दल त्र्प्रब
घेरत बा छन छन में
स्वारथ मेघनाद के माया
ब्यपी गइली जन जन जन में
साहस गरुड उमड़ी के त्र्प्राइत
नाग फांस कटी जाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत

6
नवजुग नवनिरमान मिलन के
फूल हिया में फूटित
जन समाज के मन भंवरा बनी
सतजुग के फल लूटित
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत

7
जुग जुग से बिछुडल मानव के
हियरा हंसी सटी जाइत
भारत के सोभा लखि लखि के
देव लोक ललचाइत
रावण के विचार हटी जाइत
रामविचार त्र्प्राघाइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत जग में
राम राज फिर त्र्प्राइत



























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