Monday, November 23, 2020

नव जुग के निरमान

नव जुग निरमान देखिलS

जिन्ही कुटूरावत रहलन त्र्प्रलूत्र्प्रा 
त्र्प्रब काटत  बाडन लिचुई  हलूत्र्प्रा 
गडी छोहाड़ा किसमिस से, 
त्र्प्रब होखत बा जलपान देखिलS
नवजुग के निरमान देखिलS

जबे मिलसु खूबे बतीत्र्प्रावसु 
खूब फुसिलावसु खूब घतीत्र्प्रावसु 
त्र्प्रब सोझा परला पर जइसे 
ना जाने पहिचान देखिलS
नव जुग के निरमान देखिलS

तब तS मुठिया मांगत फिरले 
हाथ जोरी के दन्त चित्र्प्ररले 
त्र्प्रब पाछा पाछा दस कूकूर 
लेके चलत उतान देखिलS
नवजुग के निरमान देखिलS

पढल लिखत चूल्ही में गइले 
त्र्प्रसली सनद सिपारिस भइले 
पढू त्र्प्रा सभ फूटहा फांसत बा, 
गदहा कचरत पान देखिलS
नवजुग के निरमान देखिलS

त्र्प्रन्न खाइ जनता त्र्प्रगराइली 
वस्त्र  पहिरी के खूब घघाइली 
जेह किसान के पीठी ठोकाइली 
निकसत त्र्प्रोकर पिसान देखिलS
नवजुग के निरमान देखिलS

झुट्ठा  सदा नरक में जाला 
झुट्ठा के ना जग पतित्र्प्राला 
एह जुग में जे जेतने झुट्ठा, 
त्र्प्रोतने बड़ा महान देखिलS
नवजुग के निरमान देखिलS

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