Saturday, May 16, 2020

लिट्टी भंटा कहा भतीजा (Bhojpuri)


लिट्टी भंटा खा भतीजा, भंटा लिट्टी खा

1
सासु पकाबसु, ससुर जेंवावसु
सरहज गावसु गारी । 
निहुरि निहुरि  के सार परोससु
तब खा दही सोहारी 
त्र्प्रपना घरे गवे गवे,
लिट्टी भंटा कहा भतीजा, भंटा लिट्टी कहा ॥ 



2
भतीजा कबे कचहरी, जो जा,
पूरा रुपया लेलऽ  
जे, जंहवां, जेतना, जब मांगे,
चुप से त्र्प्रोके देदऽ  
जो कानून बोकरलऽ तऽ बस,
पिनिकल घरे जा भतीजा ।
त्र्प्रोही जां कोणचरां बइठि के

3
तबो तऽ तूं जेहल कटलऽ
त्र्प्रबो जेहल काटऽ। 
जो सिद्धांत बघारे के बा
बासी महिया चाटऽ  
झट दे कवनो चाल लगा के
तूं हूँ दिल्ली जा भतीजा।
तूं हूँ दिल्ली जा
नाही तऽ जेहल में बइठल
लिट्टी भंटा खा भतीजा, भंटा लिट्टी खा ॥ 

4

 कहलऽ तऽ हम, बखरा दिहली
त्र्प्रब जो तूं छरित्र्प्रइबऽ
दवा पुरनकी होई तूं
सज से केहूनाठल जइबऽ॥ 
जो एइजा होखे संकेत तऽ
त्र्प्रपना हक पर जा भतीजा
त्र्प्रपना हक पर जा
लिट्टी भंटा खा भतीजा, भंटा लिट्टी खा ॥ 

कवि - स्व. डा. रामविचार पाण्डेय (भोजपुरी रत्न )



No comments:

Post a Comment