मिटती इस मानवता हित,
त्र्प्रपने केओ स्वयम मिटाने त्र्प्राये
भारत माँ के चरणों पर तुम,
त्र्प्रपना शीश चढ़ाने त्र्प्राये
1
माँ की बेड़ी को तुमने
बेड़ो धारणा कर काटा था
हत्यारे हाथो को तुमने
चूम चूम कर चाटा था
बुध्द त्र्प्रोर ईसा के पद चिन्हो को
पुन: जगाने त्र्प्राये
मिटती इस मानवता हित
त्र्प्रपने को स्वयम मिटाने त्र्प्राये
भारत माँ के चरणों पर तुम,
त्र्प्रपना शीश चढ़ान त्र्प्राये
2
तुम पद - दलित निरीह जनो की
मूक त्र्प्राह की राह बने
भारतीय स्वतंत्र युध्द के
समराग्नण की थाह बने
तुम नि: शस्त्र किधर कब लपके
इसको त्र्प्रनिगण बूझ न पाए
यंत्र शस्त्र त्र्प्रास्त्रादि सुसज्जित
ठाढ़े रहे सभी मुख बाये
मिटती इस मानवता हित
त्र्प्रपने को स्वयम मिटाने त्र्प्राये
भारत माँ के चरणों पर
तुम त्र्प्रपना शीश चढ़ाने त्र्प्राये
3
दानव रक्त - पिपासा हित तुम,
हृदय कलश मे रक्त लिये
मानवता के परम पुजारी
हृदय सत्य त्र्प्रनुरक्त लिये
उर का स्नेह पिलाकर तुम
दानव को मनुज बनाने त्र्प्राये
भूले इस मानवता हित,
त्र्प्रपने को स्वयम मिटाने त्र्प्राये
भारत माँ के चरणों पर तुम
त्र्प्रपना शीश चढ़ाने
4
हे दिव्य पुरुष, हे दिव्य ज्योति, सुंदर ललाम
तेरे जन्म दिवस पर है
शतशत प्रणाम शतस: प्रणाम
तेरी वर्षगांठ पर है हम
प्रभु से यही मनाने त्र्प्राए
एक बार त्र्प्रात्र्प्रो फिर गांधी
माँ की गोद पुन: भर जाए
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