पुरुबुज बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइवी साथी
हम मंगल जोति जगाइवी
1
चउदह बरिस राज तजी के हम
बने बने जोति जगवली
परवत गुफा गुफा बनचर के
हम त्र्प्रोजोर देखलवली
सागर बन्हली, पीड़ित मानवता
के दरद हटवली
जनहितव्रत में पुन: जानकी
के बन में पुन: जानकी
के बन में पठबवली
जन हित बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइबि साथी
हम मंगल जोति जगाइबि
पुरुबुज बरी दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइचि साथी !
हम मंगल जोति जगाइबि
2
भरल सभा में तिरियन के
जब लाज लुटाये लागल
दु: शासन जब भइल चूर
मद में घमंड में पागल
न्याय प्रेम सुख मानवता के
उर तजी के जब भागल
नर के नरता दूर भइल
जब पशुता त्र्प्रोमें जगल
गीता - ज्ञान डीप जे लेसली
त्र्प्रोके सदा बंचाइबि साथी!
हम मंगल जोति जगाइबि
पुरबुज बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइबि साथी !
हम मंगल जोति जगाइबि
3
जब सोझिया पशुत्र्प्रन का लोहू
से ई द्वेस त्र्प्रापूस में फइलल
दुखी भइल जन घर घर
बुध्द देव बनी के हम तपली
कइली निज तन जर जर
त्र्प्रइसन जोति जगवली फइलली
लांघत परबत सागर
ऊ जे जोति जगवली त्र्प्रोमें
हरदम स्नेह लगाइबी, साथी
हम मंगल जोति जगाईबि
पुरुबुज बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइबि साथी !
हम मंगल जोति जगाईवि
4
रंग भेद त्र्प्रा जाति भेद
कइलसी जब जग में डेरा
धरम भेद का मारे उजरे
लागल बसल बसेरा
तब हम जग में घूम घूमी
गाँधी बनी कइली बसेरा
एगो टीम टीम दीप त्र्प्रोर
चारू त्र्प्रोरि गहन त्र्प्रंधेरा
त्र्प्रोह दीपक के बुझे न देइबि
त्र्प्रवरी दीप चढ़ाइवी, साथी
हम मंगल जोति जगाइवि
पुरबुज बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइवि साथी !
हम मंगल जोति जगाइवी
5
त्र्प्राजु बनल दुनिया बाटे
जइसे हो घइला कच्चा
त्र्प्रब फूटल की तब फूटल
सोचत बा बच्चा बच्चा
जुग जुग से बिसवास त्र्प्रटल
हमनी के बा ई सच्चा
गच्चा मोर वाला एह जग में
खाला नित गच्चा
जो दरवार परी हम चालीस
कोटि डीप जरी जाइबि साथी
हम मंगल जोति जगाइबि
पुरुबुज बारि दिहल जे दीपक
त्र्प्रोके सदा बंचाइबी साथी !
हम मंगल जोति जगाइबि
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