एक दिन मैना हिमवंत जी से कहती,
कि त्र्प्रब गउरा भइली सेत्र्प्रान
त्र्प्रासकती छोड़ी तनी सनगो लगाई कते
हाली देने करी फलSदान
1
जानीले नू बेटी हवे दोसरा के थाती
माई बाप खाली जनमें के हS संघाती
जइसे जइसे बेटी बढे कसके ले छाती
दिने नाही भूखी नीनी परले ना राती
हाली हाली एने त्र्प्रोने भेंजी रउरा पाती त्र्प्रा
की त्र्प्रब गउरा भइली सेत्र्प्रान
एक दिन ------------------------------- फलदान
2
ऊ देखले बिहाने गउरा त्र्प्रगना में ठाढ़ी
पानी का किछार के फूलली जइसे राढ़ी
देखि हिमवंत खजुत्र्प्रावे लगले दाढ़ी
बेटी का वित्र्प्राह के फिकिर मन में बाढ़ी
त्र्प्रइसना संकेत से के हमरा के काढी त्र्प्रा
की त्र्प्रब गउरा भइली सेत्र्प्रान
एक दिन ------------------- फलदान
3
ऊ जाके दरवारे नाऊ बाहान बोलवले
हियरा के सोच सभका के समुझवले
खरच बरच जथा जोग बंटबवले
कइगो वरन के ठेकाना बतलवलवे
रामविचार पांडे बिरहा बनवले
की त्र्प्रब गउरा भइली सेत्र्प्रान
एक दिन मयना हिमवंत जी से कहली
की त्र्प्रब गउरा भइली सेत्र्प्रान
त्र्प्रसकती छोड़ी तनी सनगो लगाई कते
हाली देने करी फलदान
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