Monday, November 23, 2020

तुलसी त्र्प्रा रतनावली

तुलसी सोचे त्र्प्रापना मनवां त्र्प्राधीरतियां । । टेक  । ।

सावन के ऊ मस्त महीना, रिमझिम बरिसे पानी ।
विजुली चमकली चिंहुकी उठली, तुलसी के सूतल जवानी ।।
रतना बिनु ब्याकुल हो गइले, बाबा जी के तनवा त्र्प्राधिरतियाँ ।।
तुलसी सोचे त्र्प्रापना मनवां त्र्प्राधीरतियाँ ।।

2

बिना प्रानप्यारी के के एह तन के तपन बुताई ।
एने त्र्प्रोने पग डगमग भइले  दूनो लोक नसाई ।।
इहे सोचिके झटदे उठले कइ  दिहले पयानावा त्र्प्राधीरतियाँ ।
तुलसी  सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतियाँ  ।।


डेग डेग पर कानो किचकिच  बिछिया पांकी पानी ।
चारु त्र्प्रोरिया करिया बदरी प्रलय घटा मेडरानी  ।।
थोरही दूर पर त्र्प्रावत भइली नदिया एगो सामानावाँ त्र्प्राधीरतियां।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्राधीरतियां।।

4
गड़गड़ गड़गड़ बदरी गरजे नदी उमड़ी घहरानी ।
एक बेरी कांपली ऊ लाखिके उनकर चढल जबानी ।।
गरदनी भरी पानी में गइले टूटल जाके ध्यानावा त्र्प्रधीरतियां ।।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतियाँ ।।

भूत प्रेत बैताल डाकिनी बटूरल नदिया तट पर  ।
जइसे जूटल हो हाड़ा हाड़ी छोत्र्प्रा का चट पर  ।।
मुरदा के एगो नाइ समुझी के चढ़ी लिहले जवनावाँ त्र्प्रधीरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतिया ।।

नइया कइसो पार लगाके एगो कोल धरवले ।
त्र्प्रगवाहे तिरिछाहे लपकल, लमहर डेग बढ़वले  । ।
हलाहुतो चहुपत भइले बाबा का भवनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरातियाँ ।

त्र्प्रगवार बंद पिछवार बंद चारूत्र्प्रोरि गहन त्र्प्रन्हरिया ।
घोड़मूंहा 4 से लटकल देखले मोटहन एगो रसरिया ।।
त्र्प्रोहीके धइ खडपा चढले त्र्प्रोल्हिगइले 5 त्र्प्रंगनवा त्र्प्रधीरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधोरतियाँ ।।

बूनी उनके विकल बनलसी झिन्न फुहार बरिसके  ।
त्र्प्रोसरा में सूतली रत्नावली पूरा लट छटका के  ।।
त्र्प्रांगा बढिके त्र्प्रंगुरी  धइले  धरलिलहे कंगनवा त्र्प्रधोरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतिया ।।

9
हडबड़ाइ, के उठली  घरनी चोर जानि घबडाइलि ।
हमहवी पति बचन चिन्हत मनमें बहुते सकुचाइलि ।
हाथ जोरी के पूछत भइली  त्र्प्रावेके कारनवां त्र्प्रधीरतियां ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां  ।।

10 
मोटहन  रसरी बात सुनत कहली की चलS देखा दS ।
तुलसी कहले डर लगतबा दीत्र्प्रा तनी जरालS  ।।
दीत्र्प्रा के त्र्प्रन्जोर लाखिके ऊ फन कढ लसी गोहूत्र्प्रनवा त्र्प्रधीरातियाँ 
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ  ।।

11 
कहली चलिके नाइ देखादS जिऊत्र्प्रा बड संकाता ।
उंहा जाइके देखसु  मुरदा सरल त्र्प्रवंज बसाता  ।।
इंहा सांप इंहा मुरदा देखत हो गइलो  हयरानावा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ  ।।

12 

हाड़ चाम का एह देहिया पर प्रीतम प्रीति लगवलS ।
प्रीति रूप भगवान राम के काहे तूं विसरवलS  ।।
जनम मरन दूनो छूटी जइते, जो जइतS सरनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।।

13 
तिरिया वचन - बान उर लागत बाम्हन चकित हो गइले ।
त्र्प्रोहो  त्र्प्रन्हारा ना जाने तुलसी कहवा चलि गइले ।।
सूकर छेत्र जाइके गहले गुरु के चरनवा त्र्प्रधीरातियाँ  ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरतियाँ ।

14 
गुरु के कृपा भइलि उनका पर भइले पंडित ग्यानी ।
तुलसी तुलसी दास हो गइले जग में विदित कहानी  ।।
"रामविचार" उठल मनमें, लिखलनि रामयनव त्र्प्रधीरातियाँ
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरतिया ।

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