तुलसी सोचे त्र्प्रापना मनवां त्र्प्राधीरतियां । । टेक । ।
1
सावन के ऊ मस्त महीना, रिमझिम बरिसे पानी ।
विजुली चमकली चिंहुकी उठली, तुलसी के सूतल जवानी ।।
रतना बिनु ब्याकुल हो गइले, बाबा जी के तनवा त्र्प्राधिरतियाँ ।।
तुलसी सोचे त्र्प्रापना मनवां त्र्प्राधीरतियाँ ।।
2
बिना प्रानप्यारी के के एह तन के तपन बुताई ।
एने त्र्प्रोने पग डगमग भइले दूनो लोक नसाई ।।
इहे सोचिके झटदे उठले कइ दिहले पयानावा त्र्प्राधीरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतियाँ ।।
3
डेग डेग पर कानो किचकिच बिछिया पांकी पानी ।
चारु त्र्प्रोरिया करिया बदरी प्रलय घटा मेडरानी ।।
थोरही दूर पर त्र्प्रावत भइली नदिया एगो सामानावाँ त्र्प्राधीरतियां।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्राधीरतियां।।
4
गड़गड़ गड़गड़ बदरी गरजे नदी उमड़ी घहरानी ।
एक बेरी कांपली ऊ लाखिके उनकर चढल जबानी ।।
गरदनी भरी पानी में गइले टूटल जाके ध्यानावा त्र्प्रधीरतियां ।।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतियाँ ।।
5
भूत प्रेत बैताल डाकिनी बटूरल नदिया तट पर ।
जइसे जूटल हो हाड़ा हाड़ी छोत्र्प्रा का चट पर ।।
मुरदा के एगो नाइ समुझी के चढ़ी लिहले जवनावाँ त्र्प्रधीरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतिया ।।
6
नइया कइसो पार लगाके एगो कोल धरवले ।
त्र्प्रगवाहे तिरिछाहे लपकल, लमहर डेग बढ़वले । ।
हलाहुतो चहुपत भइले बाबा का भवनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरातियाँ ।
7
त्र्प्रगवार बंद पिछवार बंद चारूत्र्प्रोरि गहन त्र्प्रन्हरिया ।
घोड़मूंहा 4 से लटकल देखले मोटहन एगो रसरिया ।।
त्र्प्रोहीके धइ खडपा चढले त्र्प्रोल्हिगइले 5 त्र्प्रंगनवा त्र्प्रधीरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधोरतियाँ ।।
8
बूनी उनके विकल बनलसी झिन्न फुहार बरिसके ।
त्र्प्रोसरा में सूतली रत्नावली पूरा लट छटका के ।।
त्र्प्रांगा बढिके त्र्प्रंगुरी धइले धरलिलहे कंगनवा त्र्प्रधोरतियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां त्र्प्रधीरतिया ।।
9
हडबड़ाइ, के उठली घरनी चोर जानि घबडाइलि ।
हमहवी पति बचन चिन्हत मनमें बहुते सकुचाइलि ।
हाथ जोरी के पूछत भइली त्र्प्रावेके कारनवां त्र्प्रधीरतियां ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवां ।।
10
मोटहन रसरी बात सुनत कहली की चलS देखा दS ।
तुलसी कहले डर लगतबा दीत्र्प्रा तनी जरालS ।।
दीत्र्प्रा के त्र्प्रन्जोर लाखिके ऊ फन कढ लसी गोहूत्र्प्रनवा त्र्प्रधीरातियाँ
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।।
11
कहली चलिके नाइ देखादS जिऊत्र्प्रा बड संकाता ।
उंहा जाइके देखसु मुरदा सरल त्र्प्रवंज बसाता ।।
इंहा सांप इंहा मुरदा देखत हो गइलो हयरानावा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।।
12
हाड़ चाम का एह देहिया पर प्रीतम प्रीति लगवलS ।
प्रीति रूप भगवान राम के काहे तूं विसरवलS ।।
जनम मरन दूनो छूटी जइते, जो जइतS सरनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।।
13
तिरिया वचन - बान उर लागत बाम्हन चकित हो गइले ।
त्र्प्रोहो त्र्प्रन्हारा ना जाने तुलसी कहवा चलि गइले ।।
सूकर छेत्र जाइके गहले गुरु के चरनवा त्र्प्रधीरातियाँ ।
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरतियाँ ।
14
गुरु के कृपा भइलि उनका पर भइले पंडित ग्यानी ।
तुलसी तुलसी दास हो गइले जग में विदित कहानी ।।
"रामविचार" उठल मनमें, लिखलनि रामयनव त्र्प्रधीरातियाँ
तुलसी सोचे त्र्प्रपना मनवा त्र्प्रधीरतिया ।
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