Monday, November 23, 2020

बड मानुस

रहली साँझ के झूलफुल बेला 
बइठल रहली हमही त्र्प्राकेला 
तन त्र्प्रासाइल बइठल बइठल 
मन कहलसी कुछ त्र्प्रइन्ठल त्र्प्रइंठल 
का हो ? जीवन रस पा गइलS ? 
थकी गइलS की बहुत त्र्प्रघइलS ? 
एम. ए. कइलS, बड़ा महान ? 
ला पढला के बड़ा गुमान ? 
कविता कइलS, त्र्प्रच्छरी जोरलS
एह से का ? त्र्प्रम्रत फल तोरलS
त्र्प्रबही तन बा हट्टा कट्टा 
भोजपुरिया सट्टा तब पट्टा
खाली पेटे जीवन ना हS
खाली खेते जीवन ना हS 
खाली पेटे जीवन ना हS
जी गइलS, बस जीवन ना हS 
देखS, जीवन सतुत्र्प्रा ना हS
दान करे के भतुत्र्प्रा ना हS
लेढ़ीत्र्प्रावे के जीवन ना हS 
जेडहावे के जीवन ना हS
खोजS जीवन के तू जीवन 
ई सुजोग सुंदर मानुस तन
त्र्प्रबही जीवन सेस बहुत बा 
देखे खातिर देस बहुत बा 
सुनिलS, त्र्प्रब विज्ञान पढ़S तूं 
जीवन खातिर ज्ञान जरूरी 
जग खातिर विज्ञान जरूरी 
ज्ञान बिना, विज्ञान त्र्प्राधूरा 
ज्ञान बिना विज्ञान अधूरा 
नोक लगे त्र्प्रगा बढ़ी जइहS 
ना रुचे पाछा फिरि त्र्प्रइहS

पढ़बी त्र्प्रवसी विज्ञान हम, द्रढ ई भइल विचार 
नइया ' रामविचार' के राम लगइहे पार 
सेकराहे हम जाइ के, काल्हि लिखाइबी नाम 
मन में रामविचार बा, ऊपर बाड़े राम 

होत फजीर सडक पर त्र्प्रइली 
सबद सुनत कुछ विसमित भइली 
देखली लरिका गिरल घडाम 
हम कहली ई का हे राम 
लरिका गिरी भूइया छितराइल 
साइकिल डगरी के दूर फेकाइल 
बहुते लोग बजावल ताली 
' त्र्प्रान्हर' कहि कहि दोहल गाली 
कुछ कहले कि गिरल मिठाई 
खूब बीनी के खालS भाई 
केहू ना कुछ भइल सहाय 
हम तब दिहली डेग बढ़ाय 
लरिका चटपट उठल चिहाके 
साइकिल लिहलसी हाथ बढ़ा के 
घुट्टी फुटल, ठेहून रगराइल 
केहुनो दूनो खूब थूराइल 
कुरुता फाटल दिहल जबाव 
तन मन दूनो ' मस्त नबाव ' 
हमरा चहुँपत चहुँपत उह्न्वा 
ना जाने ऊ सकल कह्न्वा 
मन कहलसी की रूप इहे हS
उपमा बिना त्र्प्रनूप इहे हS
गिर गिर के जे चढ़ी चढ़ी जाला 
ढही ढही के जे बढ़ी बढ़ी जाला 
त्र्प्रंत काल ऊपर चढ़ी जाला 
त्र्प्रोके लखी के जगत चिहाला 
लोग कहल जे के वनमानुस 
एक दिन ऊ होई बड मानुस 

कंपी कांपी जे चढ़ी चले, हांफी  हांफी बढ़ी जाइ 
ऊ मानुस यह जगत में, बड मानुस होइ जाइ 

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