Monday, November 23, 2020

मन के जगा दS

तनी मन के जगा दS, मोरा मन के बसइया प्रभु जी 
                                                  मन के जगा दS
 1 
झरी पोछी के निरमल कइ दS
कारिख सगरे हटा दS ।
जवनी जोति से जगमग ई जग 
ओहु  के उसुका दS।
ज्ञान प्रेम के दीपक बारS

चमकि उठे हो मोरा तन के भंडइया  प्रभु जी 
                        मन के जगा दS।
तनो ------

       2 
जनम जनम के लागल काई
काटS  डहरी बना दS ।
टटली बा पतवार नाथ तूं
इचिकी हाथ लगा दS
भवसागर के लहरि लहरि पर 

बिहसी बिहंसी बढ़ो जीवन नइया प्रभु जी 
मन के जगा दS ।।
तनी --------------

शत्रु मित्र हम सम करी लेखी 
सहज सरूप निरेखी ।
सभ मूरति में तोहरे सूरति 
हंसत खेलत प्रभु देखी ।
" रामविचार" मधुर रस पीही 

चरन कमल के बनल रमइया प्रभु जी 
 मन के जगा दS

तनो मन के जगा दS, मोरा मन के बसइया प्रभु जी 
मन के जगा दS

No comments:

Post a Comment