तनी मन के जगा दS, मोरा मन के बसइया प्रभु जी
मन के जगा दS
1
झरी पोछी के निरमल कइ दS
कारिख सगरे हटा दS ।
जवनी जोति से जगमग ई जग
ओहु के उसुका दS।
ज्ञान प्रेम के दीपक बारS
चमकि उठे हो मोरा तन के भंडइया प्रभु जी
मन के जगा दS।
तनो ------
2
जनम जनम के लागल काई
काटS डहरी बना दS ।
टटली बा पतवार नाथ तूं
इचिकी हाथ लगा दS
भवसागर के लहरि लहरि पर
बिहसी बिहंसी बढ़ो जीवन नइया प्रभु जी
मन के जगा दS ।।
तनी --------------
3
शत्रु मित्र हम सम करी लेखी
सहज सरूप निरेखी ।
सभ मूरति में तोहरे सूरति
हंसत खेलत प्रभु देखी ।
" रामविचार" मधुर रस पीही
चरन कमल के बनल रमइया प्रभु जी
मन के जगा दS
तनो मन के जगा दS, मोरा मन के बसइया प्रभु जी
मन के जगा दS
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