Monday, November 23, 2020

सचकी बतिया

1

पतई  के बा नाइ, छेरी बा बनल खेवइ आ ।
चांमे का बेर्ही, आजु कुकुर रखवइआ ।
हंसूआ का मांडोंमे, जस खुरूपाके गीति उठलिया।
होत ऊंट के ब्याह, गदह जी बनल गबइया ।।


मुसरी के बा गेंहू मिलल कुटूरावति बाटे।
पाड़ी के बा मटर मिलल, पुटुरावति  बाटे ।
जनता का छाती पर कूटल चिउरा ।
यारन के टोली, मुकरावति  बाटे ।।

3
बनरा के अंगुरी, नारियल चमकावती बाटे ।
सुअरी के नकिया बुलाक झमकावति बाटे ।
आजु सेन्ही पर बइसल, चोरन के दल ।
आडिची आडिची के, बिरहा गावत बाटे ।

जन जीवन जइसे बालू के भीति भइल ब।
परदेशी का प्रीति अर , निआपुस के रीति भइल बा ।
अइसन अइसन काम, आंखी से लउकत, 
कुल्हि बतिये में, कुछ अनरीति भइल बा । ।

5
जे बघुआता  ओके मनावलजाता  ।
जे तरताना ऊ सुहुरावल जाता  ।
हाथ जोरिके जे मांगल बा हक पद, 
ओके बम्हने के खेत देखावल जाता । ।

गंछे कटहर ओठे तेल लगावलजाता 
खेते ऊख न देत घरे  भेली तउलावलजाता ।
रामविचार कहे जो, सचकी बतिया 
मुंह गभुआवलजाता, आंखी  देखावल जाता ।।

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