Thursday, March 19, 2020

अंजोरिया ( भोजपुरी) - डा. रामविचार पाण्डेय

अंजोरिया

1

टिसुना जागलि अपना कृस्न जी के देखे के त,

अधी रतिये खाँ उठि चलली गुजरिया।

चान का निअर मुँह चमकेला रधिका के,

चम-चम चमकेले जरी के चुनरिया।

चकमक-चकमक लहरि उठेले ओमें,

मधुरे-मधुरे डोले कान के मुंनरिया।

गोखुला के लोग इ त देखि के चिहइले कि,

राति में आमावसा का उगली अंजोरिया।

2

फूल का सेजरिया पर सूतल कन्हइया जी,

सपाना देखेले कि जरत दूपहरिया।

ओकरे में हमरा के राधिका खोजति बाड़ी,

फेड़ नइखे, रूख नाहीं, जल बा कगरिया।

कहताड़ी-’धाव कृष्ण, धाव कृष्ण, आव तनी,

हमके देखा द आजु गोखुला नगरिया;

‘अइलीं राधे, अइलीं राधे’ कहिके जे उठेले त,

एने फूलले कमल, ओने चढ़ली अंजोरिया।
3

‘हमके बोला लीतू तू अइलू हा कइसे हो,

बड़ी भाकासावनी भइली बा अन्हरिया।

कंसवा के घूमत राकस बटमार बाड़े,

गोकुला में होति कबो-कबो बाटे चोरिया।’

‘सभ के ठगेल कृष्ण, हमके भोराव जानि,

हाथ हम जोरिले करीले गोड़धरिया।

हृदया में जेकरा त तूहीं बइसल बाड़,

ओकरा खातिर ई अन्हरियो अंजोरिया।’
4

‘थाकल तू होइबू राधे आव तनी बइस ना,

एही पलंगरिया पर हमरे कगरिया।’

‘तनवा के करिया त जनमें से भइल तूं,

मनावाँ के काहे के बनत बाड़ करिया।

अबहीं जो जाइके जशोदा जी से कहिदीं त,

भलीं तरे आइके करसु पीठि फोरिया।’

‘अउरी त कुछऊ कह तनइखी राधा रानी।

तनी करिया के उजर बनाव ए अंजोरिया।’

कवि - स्व। डा. रामविचार पाण्डेय (भोजपुरी रत्न )

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