नाथ ! बानी मांगता हूँ
1
चाहता नहीं स्नेह पितु का, या जननी का प्यार पाउ
या युवती के रूप का, शृंगार का उपहार पाउ
जो कंपा दे पापियो को , वह जवानी मांगता हू
नाथ बानी मांगता हूँ
2
चाहता नही त्र्प्रायू - सागर की लहरिया शांत होवे
मुक्ति मोती ढूढ्ने केपी भाव मम उध्दांत होंवे
त्र्प्राज झंझावात बड़वानल तूफानी मांगता हूँ
नाथ बानी मांगता हूँ
3
चाहता नही त्र्प्रायू - कानन पल्लवित मुकुलित फलित हो
याकि कांटो से प्रपूरित कंटकित होकर कलित हो
त्र्प्राज खांडव दहन को लपटे दीवानी मांगता हूँ
नाथ बानो मांगता हूँ
4
चाहता नही त्र्प्राज सुंदर कुसुम कोमल नारि होंवे
मेनका, रंभा सद्रश या उर्वशी सुकुमारी होंवे
त्र्प्राज दुर्गा, कलिका चंडी भवानी मांगता हूँ
5
चाहता हूँ भूल जाऊ, शांत रस शृंगार करुणा
त्र्प्रोर देखू रक्त से परिपूर्ण केवल नदी करुणा
त्र्प्रोज केवल बीर रस की मै कहानी मांगता हूँ
नाथ बानी मांगता हूँ
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