देव ! त्र्प्राज यह खो मातु की,
कैसे लाज बचाऊ ?
1
गुरु गोविन्द बनू, सिंहो की
अद्भुत पांति सजाऊ ?
या संतावन की तलवारे
फिर से ले चमकाऊ ?
लाठी खाता जेल चलूँ या
ले खंजर उठि धाऊ ?
देव ! त्र्प्राज यह कहो मातु की
कैसे लाज बाछाऊ ?
2
रास बिहारी या " विस्मिल " बन
रोशन , भगत, कनहाई ?
या त्र्प्राजाद चंद्रशेखर बन
रिपु से करूँ लड़ाई ?
या सुभाष बनकर दुनिया को
चकमा त्र्प्रजब पढ़ाऊ ?
देव ! त्र्प्राज यह कहो मातु की
कैसे लाज बचाऊँ ?
3
पूर्ब - बंग के गाँव - गाँव मे
रोती है मानवता रे !
मानवता को नष्ट करे त्र्प्रब
हंस हंस कर दानवता रे !
मानवता को नष्ट करे त्र्प्रब
सिसक सिसक मर जाऊ ?
देव ! त्र्प्राज यह कहो मातु की
कैसे लाज बचाऊ ?
4
यम से यूध्द निपुण सावित्री
त्र्प्राज त्र्प्ररे पामाल हुई
सीता रावण के घर पहुंची
द्रपद - सुता बेहाल हुई
लंकारण के साज सजू ?
या फिर कुरुक्षेत्र मचाउ ?
देव त्र्प्राज यह कहो मातु की
कैसे लाज बचाउ ?
5
ज्योति पुंज समझा था जिसको
त्र्प्रधकार के बीच खडा
बांध लंगोटी लिये लकुटिया,
त्र्प्रग्नि शिखा के मध्य खड़ा
क्या त्र्प्रबकी प्रह्राद जलेगा ?
हिय को क्या समझाउ ?
6
मातु हेतु बलिया सहता त्र्प्राया
जो कुछ सर त्र्प्रान पड़ा
कमर कसे सर बांध कफन
त्र्प्रब भी है यह तैयार खड़ा
धन "विचार " जन मांग रहे क्या ?
कह दो सभी लुटाऊँ ?
देव! त्र्प्राज यह कहो मातु की
कैसे लाज बचाऊं?
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