भरि भरि त्र्प्रावत नैन वियोगी
सूखत सकल सरीरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
1
बिरह मिलन का एह जीवन में
विरवा मिलन लगवलS
त्र्प्रचके में तूं विरह कुठारा
त्र्प्रोपर त्र्प्राजु चलवलS
रहि रहि तन में लहरि उठती बा,
काटी दिहल जस कीरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
2
बोछूडन मिल्न - बनल तरजूई
प्रेम घृना के लेखा
जोखन वाला कवन खेलाडी
के पावल कब देखा
जो कबहूँ कबहूँ सुधि लेबS
मन पाई कुछ धीरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
3
निज कर्तव्य वन्ध में बाँधल
जहाँ जहाँ तूं जइहS
बलिया के मन में रखिहS
जनि 'राम विचार ' भूलइहS
रामविचार रहेला जेकर
ऊ मानुस में हीरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
4
का दीही ? ले ले जा कुछ
त्र्प्रासीस नयन के पानी
जब संकट परी करी जब
तोहरा से मन मानी
तब तब संकट हरी इहे
बनी बनी के सुखद समीरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
भरी भरी त्र्प्रावन नयन वियोगी
सूखत सकल सरोरा
विदा समय में जनिहS भइया
मित्र हृदय के पीरा
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