Monday, November 23, 2020

रस - धार

टेक
सावन के त्र्प्राइले महीनवां,
ऊमडी उठे बदरा बरिसे रसधार सजनी ।
लहरि लहरि बहे, भूइयां सोहरी बहे,
झूकी झूमी पुरुत्र्प्रा बयार सजनी ।।
बरिसेले रसधार सजनी।।

1

हरीत्र्प्रर हरीत्र्प्रर, चारूत्र्प्रोरि हरीत्रप्रर,
नाचSताडो हरीत्र्प्ररि परी रानी हो।
झिनीकी फुहरावा में झमर झमर बाजे
पाएल के झीनी झनकर सजनी।।

सावनके त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रसधार सजनी ।

2

धानावा के धानी रंग चुनरी,
किनारी फूल करमी कमल कोई हो।
बकुला का पंतिया के धप धप,
हलरेले गोरिया का गरवा के हार सजनी।।

बरिसेले रसधार सजनी ।
सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बंदर, बरिसे रसधार सजनी।।



इंद्र के धनुष जे कि सात रंग ऊगल बा, 
देखि देखि हिय में हुलास उमंगे।
सात गो रतन से सजल जइसे सोहताSटे 
सुन्दरी के सुघर लिलार सजनी ।।
बरिसेले  रसधार सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनावां, उमड़ी उठे बदरा बरिसे रसधार सजनी ।

बिजुली चमकि जइसे, टिकुली चमकि उठे, 
कारी रे बदरिया से केस करीत्र्प्रा ।
विंध त्र्प्रा हिमालय सोहत बाड़े दूनो, 
जइसे जुगल नयन कजरार सजनी ।।
बरिसेले रस धार सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रसधार सजनी 


घनी बंसवरिया में, छोटी छोटी जुगुनू के, 
लुकु लुकु गंवे गंवे दीया बारि के ।
रतित्र्प्रा  त्र्प्रान्हरिया में, रससेपागल होके, 
बाड़ी ऊ करऊ त्रपभिसार सजनी ।।

बरिसेले रसधार सजनी ।

सावन के त्रपइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरसे रसधार सजनी ।।


धाकिटी  धाकिटी धूम मेघ के मृदंग बाजे, 
बेंग के समूह समताल देत बा ।
लता सभ लपकी लपकी के करत बाडी, 
गंछ त्र्प्रा विरिछी के पियार सजनी ।
बरिसेले रसधार सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस........

दूत्र्प्ररा जमीरिया को गंछिया, 
बइसी डोले सुग्गा (सुग्गिया) ।
त्र्प्रचके में दूगनो के ठोर जब सटी जाला, 
बहे लागे रस पवनार सजनी।।
बरिसेले रसधार सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस----- 


पंखिया फुलाइ के नाचत बाड़े, 
बने बने मोर मोरिनी ।
नाचते नाचत जब चरि त्र्प्राखी होई जाले, 
झांके लागे हिम  के दुलार सजनी ।।

बरिसेले रसधार सजनी ।
सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस.....

रोत्र्प्रा  रोत्र्प्रा  फूठी उठे, देहिया सिहरी उठे, 
कांपी कांपी  कसके करेज कसिके।
पागल के त्र्प्रवरी ऊ पागल बनावSताटे, 
पपीहा के पागल पुकार सजनी ।
बरिसेले रसधार  सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस.....

10 
एही रे सावन तनी त्र्प्रइते मोहन, 
सखी गह गह मोरा त्र्प्रागांना ।
सभका कि सभ दिन सचहूँ सुलभ, 
सुख सजगर  सावन सुतार सजनी।
बरिसेले रसधार सजनी।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस.....

11 

त्र्प्रास बा भरोस बा कि त्र्प्रइहे मोहन, 
विसरइहे  तS ना ।
तहिया ऊ त्र्प्राइके का करिहे कि जहिया ई, 
बूढी जईहे राम के विचार सजनी ।
बरिसेले रसधार सजनी ।

सावन के त्र्प्रइले महीनवा, उमड़ी उठे बदरा, बरिसे रस........

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