एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में ।
1
रामचन्द्र के कृपा भइलि तुलसी के नाम बढे लागत
पाप ताप सब बहि चलल भगती रस धार चढ़े लागत
नाभा सुनले तुलसी भइले मगन राम त्र्प्रविनासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
2
काम क्रोध मद लोभ त्र्प्रगिनी में मानुस तन झउसाते बा
बरिस महीना राति दिना पल छन में त्र्प्रायु त्र्प्रोरातेबा
धन्य ! जे तुलसी रमी गइले सिरी राम चरन सुख रासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
3
गंगा के त्र्प्रसनान रही त्र्प्रा विस्वनाथ दरसन होई
साधू मिलन, भगती चरचा, धुमला से दोसर मन होई
जाके देखार्व केतना रस उमड़लबा कासी वासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
4
तुलसी का त्र्प्राभास भइल नाभा से मिले तS ना गइली
बड़ी वे जाइ भइली रामायन लिखते लिखत भूला गइली
नाभा त्र्प्रइहे दिहे बड़ाई हम तS परवि दुःख रासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
5
इहे सोचिके कुटिया पर टाटी एगो त्र्प्रोठंघा दिहले
नाभा दास दरस खातिर ऊ लोटा डोरी उठा लिह्जे
नाभा जी के नाम रहल बड साधुन में सन्यासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
6
त्र्प्रोने तुलसी गइले तवले नाभा एने त्र्प्रा गइले
कुटिया बंद देखि के त्र्प्रापना मन में बहुत चिहा गइले
मनके भाव बदली गइले तब त्र्प्रतिमास कठिन खाटासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
7
नाभा दास लवटि घर गइले साधू सभ पूछे त्र्प्रइले
कहले जनिहS कुल्हि परित्र्प्रम ई हमार छूछे भइले
त्र्प्ररे तुलसिया साधू का बा घूमन फिरत झपासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
8
कुछ दिन घुमत फिरत तुलसी नाभा का कुटिया पर गइले
हरी के माया त्र्प्रोही समय में साधून के बीज भइले
तुलसी सोचले हमहूँ पाली त्र्प्ररिया बइठी सुपासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
9
पत्तल चलत चलत तुलसी तक जाते जात त्र्प्रोरा गइले
पत्तल नइखे साधू त्र्प्रनादर नाभा जी घबरा गइले
साधू का पनही के का पवित्र बा लख चौरासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कसी में
10
त्र्प्रस बिचारि के तुलसी एगो पनही टूटल उठा लिहले
झारिझरी के त्र्प्रोके त्र्प्रपना त्र्प्रंगा चतुर सजा दिहले
साधू मंडली झनकी उठली देखत ई भूखि पियासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
11
त्र्प्रे ! भला ई कइसन साधू ई तS बुला चमारे बा
बउचट सनकी बा, लहकट बा हत्यारे बा
ई तS साधू होई सके ना चाहे जनम सतासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
12
भात परोसी एह त्र्प्ररिया त्र्प्रा दाल गिरा दी हेह त्र्प्ररिया
साधू मंडली चकित देखिके पनही सोने के थरिया
नाभा तुलसी मिलन भइल थरिया पर हिय हुलासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
13
जयति जयति जय रामचंद्र, जय जयति जयति मइया हुलसी
जयति जयति भारत माता, जय जयति जयति जय जय तुलसी
रामविचार भगत के महिमा रखलनि राम जरासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
1
रामचन्द्र के कृपा भइलि तुलसी के नाम बढे लागत
पाप ताप सब बहि चलल भगती रस धार चढ़े लागत
नाभा सुनले तुलसी भइले मगन राम त्र्प्रविनासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
2
काम क्रोध मद लोभ त्र्प्रगिनी में मानुस तन झउसाते बा
बरिस महीना राति दिना पल छन में त्र्प्रायु त्र्प्रोरातेबा
धन्य ! जे तुलसी रमी गइले सिरी राम चरन सुख रासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
3
गंगा के त्र्प्रसनान रही त्र्प्रा विस्वनाथ दरसन होई
साधू मिलन, भगती चरचा, धुमला से दोसर मन होई
जाके देखार्व केतना रस उमड़लबा कासी वासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
4
तुलसी का त्र्प्राभास भइल नाभा से मिले तS ना गइली
बड़ी वे जाइ भइली रामायन लिखते लिखत भूला गइली
नाभा त्र्प्रइहे दिहे बड़ाई हम तS परवि दुःख रासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
5
इहे सोचिके कुटिया पर टाटी एगो त्र्प्रोठंघा दिहले
नाभा दास दरस खातिर ऊ लोटा डोरी उठा लिह्जे
नाभा जी के नाम रहल बड साधुन में सन्यासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
6
त्र्प्रोने तुलसी गइले तवले नाभा एने त्र्प्रा गइले
कुटिया बंद देखि के त्र्प्रापना मन में बहुत चिहा गइले
मनके भाव बदली गइले तब त्र्प्रतिमास कठिन खाटासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
7
नाभा दास लवटि घर गइले साधू सभ पूछे त्र्प्रइले
कहले जनिहS कुल्हि परित्र्प्रम ई हमार छूछे भइले
त्र्प्ररे तुलसिया साधू का बा घूमन फिरत झपासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
8
कुछ दिन घुमत फिरत तुलसी नाभा का कुटिया पर गइले
हरी के माया त्र्प्रोही समय में साधून के बीज भइले
तुलसी सोचले हमहूँ पाली त्र्प्ररिया बइठी सुपासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
9
पत्तल चलत चलत तुलसी तक जाते जात त्र्प्रोरा गइले
पत्तल नइखे साधू त्र्प्रनादर नाभा जी घबरा गइले
साधू का पनही के का पवित्र बा लख चौरासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कसी में
10
त्र्प्रस बिचारि के तुलसी एगो पनही टूटल उठा लिहले
झारिझरी के त्र्प्रोके त्र्प्रपना त्र्प्रंगा चतुर सजा दिहले
साधू मंडली झनकी उठली देखत ई भूखि पियासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
11
त्र्प्रे ! भला ई कइसन साधू ई तS बुला चमारे बा
बउचट सनकी बा, लहकट बा हत्यारे बा
ई तS साधू होई सके ना चाहे जनम सतासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
12
भात परोसी एह त्र्प्ररिया त्र्प्रा दाल गिरा दी हेह त्र्प्ररिया
साधू मंडली चकित देखिके पनही सोने के थरिया
नाभा तुलसी मिलन भइल थरिया पर हिय हुलासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
13
जयति जयति जय रामचंद्र, जय जयति जयति मइया हुलसी
जयति जयति भारत माता, जय जयति जयति जय जय तुलसी
रामविचार भगत के महिमा रखलनि राम जरासी में
एक दिन नाभा दास मिलन चलले तुलसी से कासी में
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