Monday, November 23, 2020

छब्बीस जनवरी

त्र्प्राजु जनवरी छब्बीस त्र्प्राइली 
फेरु से यदि दिलावे 
त्र्प्रबही काम बहुत बाकी बा 
तोहसे ई बतलावे 


ऊपर से बिजुली चमकती बा 
भीतर बड़ा त्र्प्रंधेरा 
जाति पांति त्र्प्रा रंग भेद 
डललेबा  त्र्प्रबही डेरा 
एक बेरी त्र्प्रवरि धकिया  दS
इहो बांध टूटी जावे  
त्र्प्राजु जनवरी छब्बीस त्र्प्राइली 
फेरु से यदि दिलावे 

सुखिया त्र्प्रबही सुख ना छोड़लसी 
ना दुखिया दुःख छटल 
उंच नीच के भेद बनल बा 
मन के मोह न टूटल 
सभके गरे लगावS हंसी हंसी 
तन पुलकित हो जावे 
त्र्प्राजु जनवरी छब्बीस त्र्प्राइली 
फेरु से यदि दिलावे 


बुध्द महम्मद ईसा के ऊ 
स्वर्ग राज ना त्र्प्राइल 
गाँधी जी जा राम राज के 
सपना बा जहु त्र्प्राइल 
एटम बम से जग कांपत बा 
देखत जरी ना जावे 
त्र्प्राजु जनवरी छब्बीस त्र्प्राइली 
फेरु से यदि दिलावे 

भूखि त्र्प्रविद्या  बेकारी से 
त्र्प्रबही जूझे के बा 
बाहर के दुश्मन तS भागल 
घरके बूझे के बा 
नाइ पार मझधार भइली 
कही त्र्प्ररिये बूड़ी न जावे 
त्र्प्राजु जनवरी छब्बीस त्र्प्राइली 
फेरु से यदि दिलावे 
एक हजार बरिस से भगठल 
घर के झरे के बा 
त्र्प्रावे वाला जुग का पथ मी 
दीपक बारे के बा 
त्र्प्रस टहकार जरावS दीपक 
कन कन जोति जगावे 
त्र्प्राजु  जनवरी छब्बीस त्र्प्रइली 
फेरु से यादि  दिलावे 
त्र्प्रबही काम बहुत बाकी बा 
तोहके ई बतलावे a

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